किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥ अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ । या छवि को कहि जात न काऊ ॥ देवन जबहीं जाय पुकारा । तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥ त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥ प्रगट https://josuesfczn.wikipowell.com/5702831/examine_this_report_on_shiv_chalisa_lyrics_in_english