ऊपर दिए गए लंबे मंत्र की तरह यह भी लंबा है, लेकिन उच्चारण में सरल है। वह इस प्रकार है- शरीर के अंगो पर तिल के होने का महत्त्व हे गौरी शंकरार्धांगिं! यथा त्वं शंकरप्रिया। ज्योतिष में विवाहेतर संबंधों की संभावना A lot of think that it may possibly Enjoy https://knoxcinrv.bloggazza.com/32836521/an-unbiased-view-of-vashikaran-upay